सामाजिक न्याय
सामाजिक न्याय
आओ सब मिलकर न्याय की मोमबत्ती जलाते हैं ,
आज फिर समाज को समाजिक न्याय का रूप दिखाते हैं ,
आज फिर न्याय को एक आईना दिखाते हैं,
सुना है आईना सच बोलता है,
सच्चाई को खोलता है ,
कितना कुरूप है समाज का एक पहलू,
जो भेदभाव करना सिखाता है ,
भेदभाव सिर्फ जात- बिरादरी का ही नहीं,
बेटा -बेटी ,बहू -बेटी ,उच्च वर्ग- गरीब पक्ष ,
हर रूप में विधमान,
कुंठित दिमाग पर हर पल कर रहा साम्राज्य,
क्या इस से ऊपर उठकर हम और तुम आएंगे?
क्या दहेज जैसी कुरीतियों से निजात पाएंगे?
बाल विवाह, बेटी को गर्भ में ही खत्म कर देना,
यह महापाप है, हर और बैनर और शोर है,
पर दिल पर हाथ रख कर क्या सब बताओगे?
क्या कभी सुधरेगी यह समाज की छवि?
क्या न्याय यूं ही दम तोड़ता रहेगा या फिर न्याय न्याय का साथ जुड़ेगा?
और समाज का एक सुंदर प्रतिरूप दिखेगा,
करो प्रण इस मंच पर,
आज सामाजिक न्याय से आंख से आंख मिलाएंगे,
हम एक दिन नहीं, रोज सामाजिक न्याय मनाएंगे ,
हर कुरितियों को जड़ से खत्म कर ,
फिर जिंदा कहलायेंगे ,हां फिर जिंदा कहलाएंगे।