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Archana Samriddhi Pathak

Children Stories

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Archana Samriddhi Pathak

Children Stories

गोलगप्पे

गोलगप्पे

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आज बहुत दिन बाद ,

लॉक डाउन के उपरांत, 

फिर मेले से हुई मुलाकात, 

मन में तरह-तरह के उठने लगे विचार ,

क्यों ना देखें आज रौनके बाजार, 

फिर क्या था उठाई साइकिल , 

मेले में पहुंचे हम दोस्त चार, 

इधर उधर हम सब ने खूब आंख घुमाई ,

गोलगप्पे के ठेले को देखकर जीभ ललचाए, 

पहुंचे ठेले पर ,"बोले क्या हिसाब से खिला रहे हो भाई", 

ठेले वाले ने बोला 10 के चार है भाई, 

मीठी चटनी, खट्टी चटनी के साथ गोलगप्पे ने मुंह में दौड़ लगाई, 

सी - सी करती जीभ चटकारो से झूम उठी जब भाई, 

दही में डूबे हुए गोलगप्पे ,उसकी याद सताई,

दही पापड़ी भरपेट खाकर हमने भूख मिटाई, 

मुंबई की पानी पुरी, गोरखपुर की गुपचुप, 

दिल्ली के गोलगप्पे, मेरठ के पानी बताशे , बंगाल के पूजाका, 

अलग अलग नाम से खूब प्रचलित है भाई, 

यह छोटा-मोटा गोल गोल गोलगप्पा , 

शादी ब्याह, बर्थडे पार्टी, सब सबकी शान बढ़ाता, 

शाही पकवान की तरह हर जगह छा जाता l


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