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Prakash kumar Yadaw

Romance Fantasy Inspirational

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Prakash kumar Yadaw

Romance Fantasy Inspirational

बारिश

बारिश

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याद है तुम्हें जब हो रही थी बरसात,

तब हुई थी तुम से मेरी मुलाकात।


तुम छाता लेकर आ रही थी और मैं,

बारिश की बूंदों से कर रहा था बात।


मैं भीग रहा था बारिश की पानी में,

मन में अलग थी खुशियों की एहसास।


जब तुम्हें देखा तो खिल उठा मैं तो,

प्रसन्न हो गया तुम्हें देखकर अपने पास।


तुम वही हो जो स्वप्न में आती थी,

मुझे रात में ही नहीं दिन में भी जागती थी।


तुम्हें सोचने मात्र से मेरी जिंदगी,

प्रसन्न होकर साथी खिल जाती थी।


बारिश की बूंदें जब पड़ती है तन में,

एक अलग एहसास होती हैं मन में।


बारिश और तुम मुझे बहुत प्रिय हो,

तुम दोनों का अलग महत्व है मेरे जीवन में।


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