सलाम
सलाम
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अपनी नज़र में हो जाऊं बदनाम,
मुझे नहीं चाहिए कभी ऐसा मुकाम।
अपनी नज़र में सच्चा रहना है,
ये दुनिया तो लगाते रहते हैं इल्ज़ाम।
नफ़रत को जो हृदय में रखते हैं,
वे नहीं दे सकते प्रेम के कभी पयाम।
वे आपको तभी देंगे आवाज़,
जब आयेंगे उन्हें आपसे कोई काम।
छल करने के लिए अपना कह देंगे,
अपने अपनों में लेंगे आपके भी नाम।
ऐतबार उन पर मत करना कभी,
वरना आप हो ही जाओगे बदनाम।
ऐसे लोगों से बचकर रहना ही सही है,
ऐसे लोगों को करिए दूर से सलाम।
