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Prakash kumar Yadaw

Classics Fantasy Inspirational

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Prakash kumar Yadaw

Classics Fantasy Inspirational

करेला

करेला

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मां मैं करेला नहीं खाऊंगा,

इससे तो बेहतर भूखा रह जाऊंगा।


तुम तो जानती हो न मां,

कड़ुआ होता है करेले का स्वाद।


मुझे पसंद भी नहीं है करेला,

आप इस बात को नहीं रखती याद।


आप मेरे लिए कुछ और बनाओ,

अन्यथा मैं जाकर सो जाऊंगा।


अब तुम कुछ भी कर लो,

मां मैं करेला नहीं खाऊंगा।


मैं ऐसा कहकर उदास हो गया,

फिर मां बोली ठीक है बनाती हूं।


तुझे जो भी पसंद है मेरे बेटे,

तुझे आज मैं वही खिलाती हूं।


मां की बात सुनकर सोचने लगा,

फिर काम कर गई मेरी तरकीब।


मगर फिर मां करेला लेकर आई,

मेरे साथ नहीं था मेरा नसीब।


मां बोली ये करेले का भरता है,

सिर्फ़ एक बार खाकर तो देख।


बहुत स्वादिष्ट होती हैं ये तो,

एक बार मन लगाकर तो देख।


मां ने जबरदस्ती उस दिन मुझे,

उस करेले को खिला दिया।


जब बोला बहुत कड़ुआ है तो,

मां ने मुझे फिर पानी पिला दिया।


मगर जब मैंने उस करेले को चखा,

लाजवाब लगा उसे उसका स्वाद।


मैं उस दिन पांच करेला खाया,

वो दिन मुझे आज भी है याद।


उस दिन से बड़े शौक से मैं प्रकाश,

करेले का सब्जी खाया करता हूं।


करेला खाने से क्या फायदा होता है,

मैं अब सब को बताया करता हूं।


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