विश्वकर्मा
विश्वकर्मा
विश्व रचियता विश्वकर्मा ने स्वर्ग बनाया सतयुग में।
द्वारका बनाई द्वापर में, सोने की लंका बनाई त्रेतायुग में।
निर्माण में नित नए नए अविष्कार कर रहे हो कलयुग में।
आप ही हैं इस सृष्टि के शिल्पकार आधुनिक युग में।।
औजारों की पूजा कर नये रूप बनाये पाषाण।
हे शिल्पकार विश्वकर्मा करो नये वस्तु निर्माण।
वास्तुशास्त्र का ज्ञान बतलाकर करते सबके स्वप्न साकार।
धन धान्य से भंडार भरा रहे जो करे आपकी जय-जयकार।
शिल्पकला कौशल में आप देवों में देव सर्वोच्च कहलाये।
मानव को वास्तुकार बनाकर तुमने औजारों के भेद बतलाए।
विश्व के महान निर्माता को पूजते हैं सब रंक और राज।
बनते हैं जब काज जन पूजता है विश्वकर्मा को आज।
जिनको कर्म में विश्वास है विश्वकर्मा उनके हैं साथ।
सद्कर्म करने वालोें पर बना रहता है उनका विश्वास।
पहला श्रमजीवी था वह धरती का पहला मजदूर।
अपने औजारों से जिसने स्वप्नों के शिल्प गढ़े।
नवजात पृथ्वी की नग्न देह ढांकने के लिए,
सभ्यता की शक्ल में नूतन वस्त्राभूषण मंढे।।