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Anil Jaswal

Classics

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Anil Jaswal

Classics

वो गाना आज भी सार्थक

वो गाना आज भी सार्थक

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जब भी कहीं से गुजरता,

ये धुन अगर सुनता,

"सच है दुनिया वालों,

हम हैं अनाड़ी,


हमने सीखा सबकुछ,

न सीखी होशियारी",

तो चेहरा कभी,

गंभीर होता,

कभी मुस्कराता,

अपनी हालत पर तरस आता।


शायद जिस गीतकार ने लिखा,

मुझे मद्देनजर रख के लिखा,

मेरी जिंदगी से,

बहुत मेलजोल खाता।

अनेकों मौके आए,

जिंदगी में,

जब अगर होशियारी दिखाता,


तो बेड़ा पार हो जाता,

परंतु मैं ठहरा अनाड़ी,

बस वहीं रह गई गाड़ी।


शायद मेरा न होशियारी दिखाना,

हमेशा कायदे से चलना,

हमेशा कानून का,

मान सम्मान करना,

किसी का शोषण न करना,

शायद आज,


अनाड़ी बनाता,

और ये गाना सच हो जाता,

सच है दुनिया वालों,

हम हैं अनाड़ी,

सबकुछ सीखा हमने,

न सीखी होशियारी।".


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