Vinay Sharma

Abstract Tragedy Classics

4.5  

Vinay Sharma

Abstract Tragedy Classics

बातें दिल से

बातें दिल से

1 min
429


आज फिर से टूटा हूँ मै

खुद ही से जाने क्यों रूठा हूँ मै

दुनिया का हर रिश्ता झूठा लगे

करके भरोसा बस लुटा हूँ मै


कोसू मै रोज़ देता मै दोष

मेरे जैसे मुझे मिले नही लोग

कभी किसी का ना चाहा बुरा

किसकी सज़ा खुदा भोगू मैं रोज़


इतना अच्छा खुदा मुझे क्यों ही बनाया?

भरोसा करना तूने क्यों ही सिखाया?

सारी गलती इस दिल की लगे

दिल से निभाया पर सब ने गिराया


कोई तो हो जो अपना लगे

कहते है सब पर ना बने सगे

तेरे मै साथ हूँ , तेरे मै पास हूँ

मुश्किल पड़े तो कोई ना लगे गले।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract