कभी समझ नही पाए।
कभी समझ नही पाए।
समझने का दावा करते रहे
खामोशी कभी समझ नहीं पाए
दिल नहीं करता अब कुछ बताने को
सोचा अपने है तो शायद समझ ही जाए
आँखो को पढ़ने का दावा करते रहे
कभी मुझे भी बताओ तुम क्या देख पाए ?
आँसू इतने बहा चुके है की
अब आँखे होंठो को हँसाये
समझने का दावा करते रहे
खामोशी कभी समझ नहीं पाए
ख़ामोश हो गए है लफ्ज़ मेरे
सफाई देना मुझसे अब हो नही पाए
दिल निकाल के रख लो मेरा
शायद तब तो कुछ समझ मे आए
आँखें कुछ बयाँ करेगी नहीं
खामोशी कभी समझ नहीं पाए।