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Vinay Sharma

Abstract Tragedy Inspirational

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Vinay Sharma

Abstract Tragedy Inspirational

शायद कोई और होगा

शायद कोई और होगा

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ये वक़्त है 

आज जैसा है कल वैसा नहीं होगा

आज जो पास है कल वो नहीं होगा

आज जो खुश है शायद कल थोड़ा कम होगा

बस उम्मीद होगी और पलकों पे गम होगा 


जैसा तू है वैसा शायद कोई नहीं और होगा

तेरे लिए सिर्फ वो है उसके लिए शायद कोई और होगा

तेरी खुशी का कारण वो है उसका कारण कोई और होगा

बस उम्मीद होगी और पलकों पे गम होगा


तू बना अभी तुझसे पहले उसका दोस्त भी कोई और होगा

हाँ! उस जैसा कभी तुझे मिला नहीं पर तुझसे बेहतर उसे मिला कोई और होगा

मान ले हकीकत ये शायद दुख थोड़ा कम होगा 

वरना तो ! बस उम्मीद होगी और पलकों पे गम होगा 


सालो से अकेला तू था वो तो शायद नहीं होगा

बेइन्तहां खुश है तू बस दिखाना थोड़ा कम होगा

तुझे समझने वाला मिला समझाना तुझे कम होगा

खुशी जाहिर शब्दों में बताना थोड़ा कम होगा 


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