मेरे काबिल नहीं तुम।
मेरे काबिल नहीं तुम।
कमाल का तज़ुर्बा दिया तेरे रंग ने
मिसाल बना रुतबा तेरे संग ये
सोचता था तेरे काबिल नहीं हम
लेकिन आज पता लगा
मेरे काबिल नहीं तुम।।
बेकदर इंसान तुझे सच्चे लगते है
प्यार से ज्यादा तुझे पैसे अच्छे लगते है
खुद से ज्यादा ख्याल रखा था तेरा
लेकिन वो तो तुझको भाए नहीं
सच्चे इश्क़ की कदर भी तुझे आई नहीं
और मैं पागल ये सोचता था कि तेरे काबिल नहीं हम
लेकिन आज पता लगा मेरे काबिल नहीं तुम
यूँ तो गली गली इश्क़ करते फिरते है लोग
वृक्ष पर नई काली खिलती है रोज़
एक इंसान से प्यार करना तो जानती नहीं तुम
और मैं पागल ये सोचता कि तेरे काबिल नहीं हम
लेकिन आज पता लगा मेरे काबिल नहीं तुम।