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Vinay Sharma

Abstract Tragedy Others

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Vinay Sharma

Abstract Tragedy Others

कोई नही दिखता

कोई नही दिखता

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कोई कितना भी कह ले 

चिन्ता मत कर मैं तेरे साथ हूँ!

मुश्किल वक़्त पड़े तो

वही साथ नहीं रहता।


कोई कितना दावा कर ले

मैं हमेशा तेरे पास हूँ!

जब अकेले हो तो

वही साथ नहीं रहता।


रिश्ता कोई भी हो

एक तरफा कभी नहीं निभता

मैं ही बस समझूँ

उसको कुछ दिखता


सिर्फ बोलकर निभाना मैंने नहीं सीखा

मैंने हर रिश्ता अपना दिल से सींचा 


मैं हूँ हमेशा रहूँगा 

क्योंकि आज भी गुज़र रहा हूँ उस दौर से

जब कहने को बहुत कुछ हो

लेकिन सुनने समझने वाला कोई नहीं दिखता


इस को पढ़ कर वाह! वाह! करेंगे सब

लेकिन इन लिखे शब्दों को कोई नहीं समझता



साहित्याला गुण द्या
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