हिन्दी
हिन्दी
हिन्दी है देश की शान,
हिन्दी है देश की पहचान।
हिन्दी में समाहित सारा ज्ञान,
हिन्दी में विकसित विज्ञान।।
हिन्दी पढें हिन्दी लिखें,
हिन्दी में गायें हिन्द देश के गीत।
हिन्दी है संस्कारों की भाषा,
हिन्दी में निभाएं सब रीत।।
पहचान के लिए नहीं,
भाषा यह मोहताज।
वैश्विक बनती दिख रही,
अखिल विश्व में वह आज।।
सत्साहित्य से है भरा,
विशाल इसका भण्डार।
ज्ञान-विज्ञान से है परिपूर्ण,
अनुपम इसका संसार।।
बन रही विश्व संवाद की भाषा,
रोजगार और व्यापार की आशा।
संगीत सिनेमा और वेव- विज्ञान की जिज्ञासा,
शिक्षा शोध और कोरपोरेट की अभिलाषा।।
हिन्दी ने लड़ी स्वतंत्रता की लड़ाई,
हिन्दी में थी तब लिखने की मनाही।
लिखते-लिखते हिन्दी में ,
कई कलमकारों ने जान तक है गंवाई।।
अंग्रेजों के राज में,
आसान न था हिन्दी में लिखना।
इशाई धर्म था फैलाना,
हिन्दू धर्म था उन्हें मिटाना।।
उस विकट काल में,
भाषा जो देश के काम आई।
भूले हम उपकार उसी का,
जरा भी लाज हमें न आई।।
अपने ही देश में है आज,
भाषा अपनी पछाड़ खा रही।
अन्यथा एक अरब से अधिक है आवादी,
विश्व में जो हिन्दी अपना रुतबा दिखा रही।
भाषाऐं खूब सीखो,
उन्हें सीखना बुरा तो नहीं।
पर भाषा अपनी भूल जाओ,
यह भी तो अच्छा नहीं।।
राष्ट्र एक सूत्र में बंधे,
जरुरी है हिन्दी सब सीखें।
छोड़ विरोध हिन्दी का,
हिन्दी सब बोले सब लिखें।
अखंड रहेगा देश हमारा,
हिन्दी जब राष्ट्रभाषा होगी।
बढेगा प्रेम और भाईचारा,
हिन्दी जब जन-जन की भाषा होगी।
उज्ज्वल है भविष्य हिन्दी का,
ऊॅची छलांग है हिन्दी ने लगाई।
तभी तो विश्व में बोली जाने वाली,
भाषा दूसरी यह कहलाई।।