श्रीप्रभु के चरणाम्बुज
श्रीप्रभु के चरणाम्बुज


तुम्हारा चरणोदक आकाशगंगा,
एक चरण आकाश में लगा।
एक चरण से फिर पृथ्वी को नापा,
और बलि को ही फिर दबाया।
वेदों के शिरोभाग में विचरें ,
अहिल्या उद्धारक आपके चरण।
सब सिद्धि कारण ये चरण,
क्या आश्चर्य प्रभु भक्तों को अभय दें।
आपके लोकरक्षक चरण,
निर्धूम अग्निज्वाला सदृश चरण।
निष्कलंक कमलिनी सदृश,
निर्मल स्वर्ण सदृश चरण रज ।।
उत्फुल्ल अरुण कमल वैभव को,
परास्त करें आपके चरण।
सनकादिक मुनिजन सेवित हैं,
कॉंतियुक्त आपके ये चरण।
अरुण किरण सम उज्ज्वल,
समस्त भुवनों पर जा लगने वाले ।
वर्णन परे आपके ये चरण,
महिमा वर्णन के शब्द कैसे लाऊँ।
सूर्यवंश के तिलक राघव,
विश्वामित्र यज्ञ रक्षा के लिये आये।
कोटि सूर्य प्रभा समन्वित के,
पुण्य चरणों को नित शीश झुकाऊँ। ।