STORYMIRROR

Chandra prabha Kumar

Abstract

2  

Chandra prabha Kumar

Abstract

चेतना विस्तार

चेतना विस्तार

1 min
158

 आत्मा है स्व का अनुभव ,आत्मा ही स्वप्न दृष्टा,

 जागृति में दुनिया दिखे, जागृति आत्मविस्तार। 

 जागृति आत्म विस्तार, कुछ बाहर से न आता,

 समस्त अनुभव मन के हैं, जान यह सुख दुःख तैरे। 

 कहै प्रभा समझाय, आत्मा की शक्ति धीरता,

 वही सत्य तोष भजे, जो लखे चेतन आत्मा।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract