चेतना विस्तार
चेतना विस्तार
आत्मा है स्व का अनुभव ,आत्मा ही स्वप्न दृष्टा,
जागृति में दुनिया दिखे, जागृति आत्मविस्तार।
जागृति आत्म विस्तार, कुछ बाहर से न आता,
समस्त अनुभव मन के हैं, जान यह सुख दुःख तैरे।
कहै प्रभा समझाय, आत्मा की शक्ति धीरता,
वही सत्य तोष भजे, जो लखे चेतन आत्मा।।
