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Damyanti Bhatt

Classics

4  

Damyanti Bhatt

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मेरा नसीब

मेरा नसीब

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जो मेरे भाग्य में नहीं है 

वह दुनिया की कोई भी शक्ति

 मुझे नहीं दे सकती है 


 जो मेरे भाग्य में है

 उसे दुनिया की कोई भी शक्ति

 छीन नहीं सकती है 


ईश्वरीय शक्ति असंभव को

संभव बना सकती है

 कर्म ही कामधेनु एवं प्रार्थना है 

पारस मणि है

भोजन हो या प्रेम

यदि किसी को ज्यादा दे दो

वह अधूरा छोड़ कर ही चला जाता है


वो रोंद सकते हैं बगीचों को

फूलों को

 ऋतु को आने से

रोक नहीं सकते


रोक नहीं सकते पंख लगे पंछियों को

 वह आकाश को ही कर देते हैं 

अपना आंगन


मैंने महसूस किया है अपने चरम पर

प्रेम वात्सल्य में

परिणित हो जाता है

जैसे नदी समंदर से मिलकर

असीम हो जाती है।


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