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Damyanti Bhatt

Others

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Damyanti Bhatt

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Untitled

Untitled

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प्रेम पुरुषों ने लिखा

प्रेम स्त्रियों ने लिखा

क्या भुनता रहता

मन मैं उनके


पुरुष जब लिखते हैं

स्त्री को देवी, दया, प्रेम, करुणा लिख देते


जब स्त्री लिखती

वो तो पुरुष को मानव तक नहीं लिखती


मिठास बांटने वाली

स्वार्थ या ईर्ष्या नहीं लिखती

पुरुष को

निहाल कर देने वाली


कलम और शस्त्र उठाने की हिम्मत

अहं छोड़ संयम में रहने की हिम्मत


अधरों पर वयन 

नेह भरे नयन

जब चाहे अपने लिए थोड़ा सा वक्त

थोड़ा सा प्रेम, अपनापन

न समझा

पुरुष जब समझ न सके

स्त्री की गरिमा

कर न सकें उसके

आत्मसम्मान की सुरक्षा

तब लेती है वो

दुर्गा के अवतार।



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