एहसास
एहसास
स्मृतियों के मंदिर
विरह की आरती
मन निर्भय न शांत
बस अपना ही दुख
अपनी ही पीडा
अधरों से छूने और
दांत चुभोने मैं
भले हुनर एक जैसा हो
एहसास एक नही होता है।
स्मृतियों के मंदिर
विरह की आरती
मन निर्भय न शांत
बस अपना ही दुख
अपनी ही पीडा
अधरों से छूने और
दांत चुभोने मैं
भले हुनर एक जैसा हो
एहसास एक नही होता है।