Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract Classics Inspirational

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Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract Classics Inspirational

क्षमा

क्षमा

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जग में शांति सौहार्द की खातिर

क्षमाशीलता एक वृहद सद्गुण है।

पर दुष्ट कुपात्र को क्षमा कर देना,

कायरता है और एक बड़ा दुर्गुण है।


शांति और सुधार हेतु जग में,

क्षमादान ही श्रेयस्कर होता है।

दण्ड हो सकता मूल अशांति का,

और सुधार भी बाधित है सकता है।

पात्र को अवसर देना होता समीचीन,

क्षमा तो क्षमाशील का आभूषण है।

जग में शांति सौहार्द की खातिर

क्षमाशीलता एक वृहद सद्गुण है।

पर दुष्ट कुपात्र को क्षमा कर देना,

कायरता है और एक बड़ा दुर्गुण है।


क्षमाशीलता और धीरज की भी तो,

एक न एक निर्धारित सीमा होती है।

शिशुपाल के अपराध शतक के बाद,

सुदर्शन की तो फिर बारी भी होती है।

सौ अपराधों की क्षमा का वचन दिया,

फिर वध का दण्ड देना ही धर्म कृष्ण है।

जग में शांति सौहार्द की खातिर

क्षमाशीलता एक वृहद सद्गुण है।

पर दुष्ट कुपात्र को क्षमा कर देना,

कायरता है और एक बड़ा दुर्गुण है।


क्षमादान है एक अंग धर्म नीति का,

और दण्ड भी उसी नीति का हिस्सा है।

समय चक्र के संग-संग चलने वाला यह,

हर एक ही युग का अविनाशी हिस्सा है।

एक सीमा तक ही क्षमा मिले पात्र को,

तब ही तो उचित न्याय निष्कर्षण है।

जग में शांति सौहार्द की खातिर

क्षमाशीलता एक वृहद सद्गुण है।

पर दुष्ट कुपात्र को क्षमा कर देना,

कायरता है और एक बड़ा दुर्गुण है।


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