सफल तब ही जीवन -सार्थक दीवाली
सफल तब ही जीवन -सार्थक दीवाली
हमने हृदय में जो ज्योति,
परहित की जला ली।
सफल तब ही जीवन और,
होगी सार्थक दीवाली।
सौभाग्य अपना जो जग में हम,
मनुज रुप आए।
प्रभु का प्रयोजन है जो खास,
कहीं न हम उसको भुलाएं।
सभी बंधु-भगिनी है पिता एक अपना,
मिलकर ही सार्थक हो आनंद का सपना।
न कुछ ले के आए हैं हम और,
जाएंगे सब ही तब होंगे हाथ खाली।
सफल तब ही जीवन और,
होगी सार्थक दीवाली।
हमने हृदय में जो ज्योति,
परहित की जला ली।
सफल तब ही जीवन और,
होगी सार्थक दीवाली।
अनवरत ही रहें रत आलस को त्यागें,
तव आचरण देख जग के दूजे भी जागें।
हों सहयोगी सबके सबल स्वयं को बनाएं,
बेशर्त सर्वहित आनंद की सरिता बहाएं।
जगमग हो जग सब ,बनें ज्योति-पुंज ऐसे,
न कहीं भी किसी की,रहे कोई रात काली।
सफल तब ही जीवन और,
होगी सार्थक दीवाली।
हमने हृदय में जो ज्योति,
परहित की जला ली।
सफल तब ही जीवन और,
होगी सार्थक दीवाली।
