प्रश्न
प्रश्न
मैं सरल लिखूं या क्लिष्ट लिखूं?
मैं गरल लिखूं या विशिष्ट लिखूं?
या लिख डालूं अंतस का अव्यक्त भाव,
या साहित्य परिष्कृत अपशिष्ट लिखूं?
अकुलाहट लिख डालूं दग्ध हृदय की?
या अमोक्ष बंध शापित काल वक्ष की?
लिख डालूं पीड़ा के व्यग्र उद्बोधन को?
व्यथित प्रेम समाहित समग्र संबोधन को?
लिखूं विकल वीतरागी के मानस चिंतन को?
सकल विश्व निहित ऊर्जा ,गति , कंपन को
राग-द्वेष, विद्रूप, कुरूप, छलछंद, प्रपंच को
या प्रेम प्रीत सहृदयता कोमलता के गुण को?
क्यों अपरिपक्व छुद्र बुद्धि भ्रमित गर्वित है?
जब नश्वरता कालजयी सब चर्चित वर्णित है
मन मंथन अतृप्त अकुलाहट भाव प्रबल है
संभव सफल सुभग साधन सबल विफल है।
करती प्रश्न.....क्या लिखूं?