मां का मातृत्व
मां का मातृत्व
मां को करती संतान सदा
जग में सबसे ज्यादा प्यार
माता के प्यार दुलार पर
है बस उसका अधिकार।
मां की ममता मई छवि
युगों युगों से गाते कवि
मां के गरिमामय तेज से
धुंधला जाए प्रखर रवि।
मां का मातृत्व है प्रसाद
ईश्वर का है यह वरदान
धोखे से, सपने में भी
करना नहीं कभी अपमान।
मां के आंचल की छांव
हर लेती सारे दुख संताप
सद्गुण सारे विकसित हो
जीवन बन जाता निष्पाप।
मां अपनी संतान को
देती प्रतिपल आशीष
मां का वंदन जो करें
मिल जाते उसको ईश।
पृथ्वी पर भगवान का
माँ ही है दूसरा रूप
भर देती झोली खुशियों से
भाग्य की खिले सुनहरी धूप।