STORYMIRROR

Maittri mehrotra

Romance

3  

Maittri mehrotra

Romance

सतरंगी सपने

सतरंगी सपने

1 min
280

निज नैनों में भर कर देखे

कुछ सतरंगी सपने रतनारे।

कुछ सपन सलोने साजन के

देखें दिन रैन नयन कजरारे।


देख दर्पण में मुखड़ा बार- बार

जब लाज स्वयं से आ जाती है।

पाणिग्रहण की बेला, हाथों में

मेहंदी साजन की रच जाती है।


अब सतरंगी सपनों में बसता है

प्रियतम साजन जी का गांव।

स्वयं शूल फूल बनकर हंसता है

मुस्कती धूप बनकर शीतल छांव।


पथ पीहर का लंबा हो जाता है

प्रिय आंगन मन रच बस जाता है।

मन की कोयल मल्हार सुनाती है

छवि पिय की मन में बस जाती है।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance