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Bhawana Raizada

Classics

4  

Bhawana Raizada

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पत्थर के तुम

पत्थर के तुम

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पत्थर के हो तुम

है पत्थर की काया

विश्वास की आत्मा से

सृष्टि बीच समाया। 

मन भाव श्रद्धा सहित

जिसने शीश झुकाया

कर्म प्रधान जिसने भी

अपना अपनत्व पाया। 

कृपा बनी उस पर तुम्हारी

तुम्हारी ही जय गाया। 

पत्थर के हो तुम

है पत्थर की काया

विश्वास की आत्मा से

सृष्टि बीच समाया। 

स्वार्थ, लोभ, अहम् पाप

मुक्ति बल जिसने पाया। 

रूप अनूप तुम्हारे देखे

जिसने प्रेम जगाया। 

भाव भावना के तुम साथी

दुष्कर्मी देख भगाया। 

पत्थर के हो तुम

है पत्थर की काया

विश्वास की आत्मा से

सृष्टि बीच समाया। 


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