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Lokanath Rath

Classics Inspirational

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Lokanath Rath

Classics Inspirational

क्या कहूँ ?

क्या कहूँ ?

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ऐ जिन्दगी तू जरा गौर करना,

उनको तू जरूर बता देना,

जो पूछते हैं मेरा घर और ठिकाना,

क्या कहूँ ? 

जो सोचते हैं मुझे बेगाना।


कोई मुझे यहाँ मुसाफिर समझते,

बार बार मुझे सब ताकते रहते,

कोई समझने की कोशिस नहीं करते,

क्या कहूँ उन्हें ?

जो दर्द हैं देते|


खोने को तो अब मेरे पास कुछ नहीं,

पाने को क्या है,वो पता नहीं,

सीने से दर्द अभी मिटा नहीं,

क्या कहूँ ? 

ये दिल सुनता नहीं|


हम तो वफ़ा ही करते गये,

अपनी वादे सारे निभाते गये,

पर, वो हमें क्यों छोड़ गये,

क्या कहूँ ? 

हम अधूरे ही रह गये|


वो घर अब हम छोड़ दिए,

ठिकाना भी हम अब भूल गए,

वो जो अब देखो बेवफा हो गये,

क्या कहूँ ? 

कैसे उन्हें अब भूल जायें ?


अब तो इतना काम करना,

उन्हें समझाने की तू कोशिश करना,

भूल के भी कभी भूल न करना,

क्या कहूँ ?

किसी का दिल नहीं तोड़ना|

ऐ जिन्दगी तू जरा गौर करना...


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