ऐसा मेरा गाँव
ऐसा मेरा गाँव
सर्वगुण सम्पन्न अभिलाषा
आदर्श गाँव की परिभाषा
किसानों की नगरी है
नार भरती गगरी है
पीले पीले सरसों के खेत
कहीं नदी तो सपनीले रेत
ज्ञान बांटते विद्यालय हो
घर घर बना शौचालय हो
रंग बिरंगे फूल खिले हो
कल कल कर नदियाँ हो बहती
छम छम कर सखियाँ हो हँसती
पेड़ों के झुरमुट में छुप कर
बच्चे खेले टहनी पर चढ़ कर
सुर्य की नई छटा नारंगी
बैजू बैठा लिये सारंगी
पँछी गाते गीत सुरीले
चूल्हों पर चढ़ गये पतीले
भोर भये नीपे घर आँगन
सजे नार मुस्काये साजन
होते ऐसे गाँव अलबेले
लगते रोज अनोखे मेले।
