ख़ौफ़-ए-कोरोना
ख़ौफ़-ए-कोरोना
यह कैसी वबा मची हैं दुनिया में दोस्तों
जिसकी कोई दवा नहीं हैं दुनिया में दोस्तों
ना हाथ मिलता ना दिल मिलता हैं अब तो
फ़िर कैसे कोई फ़ना हो दुनिया में दोस्तों
कतरा रहें हैं सब नज़र मिलाने से भी अब
ये कैसी हवा चली हैं दुनियाँ में दोस्तों
मदद करना भी चाहें तो भाग जाते हैं सभी
ये कैसा वक़्त आन पड़ा हैं दुनियाँ में दोस्तों
हरम भी ख़ाली हैं मस्ज़िद भी वीरान हैं
यह पहली बार हुआ हैं दुनियाँ में दोस्तों
ना मैकदों में रौनक हैं ना बाज़ार में हलचल
सब ज़गह पे ताला लगा हैं दुनियाँ में दोस्तों
जिधर भी देखों सन्नाटा सा दिखता हैं
ना कोई शोरगुल ना कोई सदा हैं दुनियाँ में दोस्तों
जिससें रौनक थी गली कुचा बाज़ार में
ओ सब छुपा बैठा हैं दुनियाँ में दोस्तों
सांस लेना भी दुष्वार अब मिलना भी मुश्किल
ज़हर हवा में कितना घुला हैं दुनियाँ में दोस्तों
आ बैठ जा सब छोड़ के तीरे नदी पर तुम
की सबकों यहीं पर आना है दुनियाँ में दोस्तों।
