रिश्तों में घूस
रिश्तों में घूस
आज हर रिश्ते को घूस लेते देखा है
किसी को कम,किसी को ज़्यादा
हर रिश्ते में स्वार्थ का गाना देखा है
क्या ख़ूब प्यार भरा दोस्ताना है
दिलरुबा का भी नया तराना है
सब रिश्तों को मोल-भाव करते देखा है
आज हर रिश्ते को घूस लेते देखा है
मां ओ मां तू कैसी है,
में तुझे समझ न पाया हूं
तेरी ज़्यादा ममता ने
बीवी को रुलाते देखा है
वाह रे मेरे ख़ुदा, तेरा जवाब नहीं है
गृहस्थ जीवन को हर दिन ही,
सूली पर टँगा हुआ देखा है
एक तो पैसे की मारामारी,
ऊपर से मेरी बीवी भारी
ख़ुद को आरामशीन में कटते देखा है
आज हर रिश्ते को घूस लेते देखा है
बकरे को शादी से पहले,
ख़ूब मोटा-ताजा करते है
मैंने तो शादी में ख़ुद को ही ऐसा देखा है
रिश्ता एक ही प्यारा लगता है
वो है, मेरे बजरंगबली का साखी
उनसे ही अपनी सांसों को चलते देखा है।
