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AVINASH KUMAR

Tragedy

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AVINASH KUMAR

Tragedy

मुझे उसने छोड़ने में देर की

मुझे उसने छोड़ने में देर की

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मुझे उसने छोड़ने में देर की

मैं उसी का हो कर के रह गया

वो गया दे कर के आईना

मैं उसमें बिखर के रह गया


मुझे जाना तो उस पार था

क्या कहूँ कि वो मेरे साथ था

वो मेरी कश्ती में न आ सका

मैं दरिया में उतर के रह गया


ये जो दास्ताँ दोनो की है

है मगर दोनों की मुख़्तलिफ़

मैं उससे जुदा न रह सका

वो मुझसे बिछड़ के रह गया


मैं सवाल उससे करता भी क्या

वो तो फैसले पे आ गया

मेरे प्यार से मेरे सब्र से

वो बस मुकर के रह गया


मैं ये सोचता था मेरी गली

वो रुकेगा थोड़ी देर तो

दो घड़ी को भी थमा नहीं

वो गली से गुज़र के रह गया।



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