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Bindiya rani Thakur

Abstract

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Bindiya rani Thakur

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बात आँखों की

बात आँखों की

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समंदर सी गहरी, 

झील सी निर्मल 

तारों सी चमक लिए 

ख़्वाबों से भरी आँखें।


किसी के लिए अंजन, 

किसी के लिए दर्पण

हिरणी सी चंचल 

जुगनुओं सी दमकती आँखें।


दिल का दर्द आँसुओं से

बयाँ कर जाती हैं आँखें 

नीयत का फ़रेब पल में

दिखला जाती हैं आँखें ।


झूठी मुस्कान का

राज़फाश कर देती हैं आँखें।


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