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Pranav Kumar

Tragedy

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Pranav Kumar

Tragedy

थक चुका हूं

थक चुका हूं

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ये दिल अब थक चुका है तेरी रोज - रोज की बेरुखी सी बातों से, 

तेरी गलतियों से, तेरी नादानियों से

अब इस रिश्ते को बचाने की एकतरफा कोशिश इसे करने नहीं दूंगा,


तुम्हें जाना है तो जाओ, मैं अब दिल को आवाज लगाने नहीं दूंगा,


ये लब भी थक चुका है तुम्हें समझाते समझाते,

अब और इसे समझाने नहीं दूंगा,

प्यार तो करता रहूंगा पर अब इजहार लबों पर आने नहीं दूंगा,


मैंने भी हर आशिक की तरह गलती की तेरी बातों में आकर,

अब मैं इन गलतियों को दोहराने नहीं दूंगा,

तेरी बातों में फिर से खुद को कभी आने नहीं दूंगा,


साथ देखे सारे ख्वाब टूटते नजर आ रहे हैं,

अब नज़रों में इन ख्वाबों को कभी आने नहीं दूंगा,


मैं अपने ख्वाब फिर बुनूंगा लेकिन तुम्हें उसमें शामिल नहीं होने दूंगा। 


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