फिर मिलेंगे जान
फिर मिलेंगे जान
मेरी वफ़ा मांगी थी खुदा से उसने,
मेरा साथ मांगना भूल गई,
मोती तो चुन के लाए थे उसने,
उसे धागे में पिरोना भूल गई,
बहुत नासमझ थी मुहब्बत में,
जात - धरम समझना भूल गई,
प्यार भरे खत पढ़ते - पढ़ते,
सजदे में कलमा पढ़ना भूल गई,
अपने प्रियतम की बांहों में खोकर,
वो खुद अपना होना भूल गई,
देख उसकी आंखों में खुद को,
फिर आईना देखना भूल गई,
दुआ में मांगती थी खुशियां उसकी,
साथ की खुशी मांगना भूल गई,
उस तक पहुंचने की खुशी में, वो
वापसी का रास्ता भूल गई,
सब कुछ भूल गई थी वो, पर
बिछड़ते वक्त "फिर मिलेंगे जान" कहना नहीं भूली ।

