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Pranav Kumar

Tragedy

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Pranav Kumar

Tragedy

टूट गया

टूट गया

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तुम्हें पाने का एक ख्वाब कुछ ऐसे टूटा,

ऐसा लगता है जैसे सारे ख्वाबों का बुनियाद ही टूट गया,


जो भी सोच रखे थे, रखा ही रह गया,

जब से तेरे हाथों से मेरा हाथ छूट गया,


एक कमरे में पड़े रहने की आदत हो गई है अब तो,

बिन तुम्हारे जिंदगी का स्वाद ही रूठ गया,


साथ बिताए पलों को याद करके दिल भर सा गया था,

फिर तेरी यादों का एक मोती, इन आंखों से गिरकर फूट गया,


दूर हो गए इतने कि एक दूजे की खबर तक नहीं मिलती,

आखिरकार एक बेखबर को तेरी खबर की आस भी टूट गई।


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