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Pranav Kumar

Romance Tragedy

4  

Pranav Kumar

Romance Tragedy

मेरी याद

मेरी याद

1 min
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मेरी याद आने पर अब भी रोती हो क्या ?

कभी बैठ अकेले मेरे प्यार को संजोती भी हो क्या ?


जिंदगी तो बहुत बेरहम निकली न, जिंदगी भर के लिए दूर कर दिया हमें,

तुम अब भी इसे खुदा की नियामत ही मानती हो क्या ?


बिछड़ते वक्त कहा था अपना खयाल रखना ' प्रणव ' ,

सो मैं ठीक हूं, तुम बताओ अपना खयाल रखती हो न ?


मुझे साथ बिताए वो पुराने दिन फिर से चाहिए,

तुम भी कुछ ऐसा ही चाहती हो क्या ?


तेरे बाद मुझे बस तेरी ही तलाश रही,

तुम अब भी मुझे ढूंढती हो क्या ?


वफ़ा करके भी पा न सके तुम्हें,

तुम नेमतें में अब भी मेरी ही वफ़ा मांगती हो क्या ?


तुम बड़े प्यार से मुझे 'मेरा पागल' कहकर पुकारती थी ना,

एक बात बताओ, मुझे अब भी वही पागल ही मानती हो न ?


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