तोहफों की कुर्बानी
तोहफों की कुर्बानी
खुद की जिंदगी में एक अदाकारी करनी पड़ रही है,
हमें दिखावे की एक झूठी जिंदगानी जीनी पड़ रही है,
यहां सच से किसी को कुछ मतलब नहीं है,
लोगों से मिलते वक्त उनके जैसे ही अपनी जुबानी करनी पड़ रही है,
ईमान के साथ चलो तो फायदा उठाने की कोशिश करते हैं लोग,
ऐसे लोगों के साथ मुझे भी बेमानी करनी पड़ रही है,
यहां कलियों को फूल बनने से पहले तोड़ना चाहते हैं लोग,
अब फूलों को बचाने के लिए कांटों की बागवानी करनी पड़ रही है,
मजबूरी में किसी और का होना पड़ रहा है,
कमरे में सजाकर रखी तुम्हारी सारी तोहफों की कुर्बानी करनी पड़ रही है ।