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Pranav Kumar

Romance

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Pranav Kumar

Romance

बचपना मोहब्बत में

बचपना मोहब्बत में

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वो नखरें भी करती हैं, होती हैं नाराज भी,

क्या गजब है उनके दिल की बात बताने का अंदाज भी,


वो बोलती हैं कुछ और , चाहती हैं समझे हम कुछ और,

हमें नासमझ ही बना देती हैं उनके ये अल्फाज भी,


वो चाहती हैं, महसूस करें हम उन्हे

शुक्र है, इसमें साथ देते हैं मेरे जज़्बात भी,


उठा देती है हमें नींद से अक्सर,

कितनी दिलकश है उनकी आवाज भी,


देखकर ये बचपना उनके मोहब्बत में,

हो जाता है दिल मेरा आबाद भी।


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