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anuradha nazeer

Tragedy

3  

anuradha nazeer

Tragedy

ज़िन्दगी का कर्तव्य पालन

ज़िन्दगी का कर्तव्य पालन

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साल गुजरते चले ,

मगर शाम कटती नहीं

साल गुजरते चले

पर शाम कटती नहीं


कोई जिंदगी भर दौड़ते रहे

कोई कहते हैं कि,

कोई पाते हैं

कोई जीते हैं

कोई छूट भी जाते


कोई हार से डर  जाते

कोई हार के बैठ जाते 

फिर भी जिंदगी भर अपने कर्तव्य पालन करते रहते हैं 

किन्तु जिंदगी का मतलब कोई नहीं जनता हैं 

कोई आते हैं कोई जाते हैं कोई टिकता नहीं है 


कोई हमेशा के लिए नहीं पाते

यही है जिंदगी का मतलब

मौजों की रवानी है 


हम सहारा ढूंढते ढूंढते थक जाते हैं

जिंदगी में कई तरह का तूफान आते हैं 

बादल आते हैं 

बारिश  भी आते हैं 

कैसे और क्यों कोई नहीं पूछते हैं 


कोई कुछ नहीं पाते हैं 

निशानी बनकर रह जाते हैं 

कोई टिकता नहीं

कोई टिकना चाहता भी नहीं है

मौजों की रवानी है 



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