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Kavita Sharrma

Tragedy Inspirational

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Kavita Sharrma

Tragedy Inspirational

प्रकृति-सहचरी

प्रकृति-सहचरी

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प्रकृति हमें देती है अनगिनत उपहार

सांसें देकर वृक्षों ने किया हम पर उपकार

नदियां पानी देती आईं सबकी प्यास बुझाती आईं

जल से है धरती पर कुदरत की बहार

इतने उपकारों का मोल न जाना मानव ने

मुक्त न हो सका अपने स्वार्थ और लालच से

जंगल की जगह बना डाले उसने कंक्रीट के जंगल

वन्य प्राणियों से भी छीन लिया उनका घर

प्रकृति आज प्रदूषण से हुई है बेहाल

कहीं है बाढ़, कहीं है पड़ा है भीषण अकाल

मानव जागो अब तो यूं करो न प्रकृति पर अत्याचार

नये वृक्ष लगाकर बनाओ इसे सुंदर

अपना ऋण चुकाने का है यही मूल मंत्र



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