मैं आँखे मिलाने में तो ज़माने का लिहाज़ रखता हूँ, मैं आँखे मिलाने में तो ज़माने का लिहाज़ रखता हूँ,
औरत को झुक कर लोक व्यवहार निभाना पड़ता है। औरत को झुक कर लोक व्यवहार निभाना पड़ता है।
तुच्छ स्वार्थ हेतु तोड़ना अटूट विश्वास क्या यही प्यार है। तुच्छ स्वार्थ हेतु तोड़ना अटूट विश्वास क्या यही प्यार है।
फूल बनकर घर के गुलशन को ज़र्रा-ज़र्रा महकाऊँ। फूल बनकर घर के गुलशन को ज़र्रा-ज़र्रा महकाऊँ।
मुस्कुरा उठती हूँ क्योंकि जानती हूँ तू दूर रहकर भी मेरा ख्याल रखता है। मुस्कुरा उठती हूँ क्योंकि जानती हूँ तू दूर रहकर भी मेरा ख्याल रखता है।
चौबीस घंटे बाहर रहने वाले पति को, घर चलाने के नुस्खे बताती हैं। चौबीस घंटे बाहर रहने वाले पति को, घर चलाने के नुस्खे बताती हैं।