पहले और आज की पत्नी
पहले और आज की पत्नी
आता है याद वही जमाना,
जब पति के बटुए से पैसे निकालना,
जब पति के टंगे थे खुंटी पर कपड़े,
चुपके से उनकी पैंट चैक करना,
कभी मिले बापस तो ठीक है,
मानो आज के हिसाब तो भीक है,
कल पत्नी को पैसे दे जाया करते थे,
आज पत्नी की ही सब सिखलाती है,
जब खुश थीं पत्नियाँ,
चब्बनी की लिपस्टिक पर भी,
आज हजार की साड़ी पर,
भी मुँह बनाती हैं,
जब चलाते थे पति घर सौ में,
आज वही घर हजार में पत्नी चलाती हैं,
चौबीस घंटे बाहर रहने वाले पति को,
घर चलाने के नुस्खे बताती हैं।