जब जिधर भी
जब जिधर भी
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जब जिधर भी मेरी नज़र देखता है
कभी इधर कभी उधर देखता है।।
पलकें खुली तो फ़िज़ाओं में तुम
बन्द पलकों में भी तुझे देखता है।।
सूरज की लाली में गुलाब की कली में
तेरे होठों की रंगत लाली देखता है।।
टेसू की सेमर की रंगीं छटाओं में भी
तेरी सूरत चमक वाली देखता है।।
कर महसूस हवा में फैली महक सारी
तेरे साँसों की खुशबू बिखेर देखता है।।
नींदें आई तो थीं बैरंग लौट भी गईं
ख्वाबों ही ख्वाबों में तुझे देखता है।।