तेरे आने की आहट
तेरे आने की आहट
काश! ताबीर मिल जाती ख़्वाबों की
तो ये इंतजार ना होता
तेरी एक झलक पाने की खातिर
ये दिल यूं बेकरार ना होता।
तेरे तख़य्युल में जी रहे हम
खुशियों को भी बनाकर अपना गम
तेरे आने की आहट तो आती
पर तेरे आने का ना आता मौसम।
मयस्सर है हर रिश्ता यहां
पर तुम बिन अधूरा है मेरा ये जहां,
यादों के अंजुमन में कई बार पुकारा तुम्हें
पर मिलते नहीं कहीं तेरे निशां।
तेरे एहसासों के सहारे ही जी रहे हम
कुछ तो इशारा करो कहां हो तुम,
किस क़दर किस दर ना ढूंढ़ा तुम्हें
किन वादियों में हो गए गुम।
ये जुदाई यूं इबारत-ए-इश्क
मिटा सकती नहीं हमारी तकदीर से
फ़ना हो जाएंगे हम गर खुदा ने छीना
तुम्हें दुनिया की तस्वीर से।
लौट आओ ज़िन्दगी में तुम बिन ये सांसे
अब संभाली नहीं जाती
हर लम्हा पिघल रहे तेरी यादों में हम
कि ये ज़िंदगी अब रास नहीं आती।