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Rashmi Sinha

Romance

4  

Rashmi Sinha

Romance

गांठ

गांठ

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चलो कुछ खूबसूरत पलों को दोहराते हैं,

अतीत की सैर कर आते हैं----

क्या याद है अपने कंधों पर पड़े,

उस पीले दुपट्टे की--

औ' मेरे दुपट्टे को,

गांठ लगाने का निर्देश देते पंडित जी--

फिर दोनो के दुपट्टे में कुछ चावल 

कुछ सिक्के----

उनको गांठ लगाते कुछ खूबसूरत रिश्ते,

और वो----

तुम्हारे बगल में खड़ी मैं,

सूप से चावल फटक,

गोदी डालती घरों की महिलाएं

क्रिया सम्पन्न होने पर---

चावल आँचल से पहुंच जाते पन्नी में,

पर कुछ दाने शुभ के प्रतीक,

आँचल की कोर से बांध,

"गांठ" लगा आगे की यात्रा----

कितनी खूबसूरत होती हैं कुछ गांठें,

कभी न खुलने की कामना के साथ,

दुल्हन की कलाई पर बंधे कलावे की गांठ---

हर गांठ मुस्कुराती है,

और रिश्ते को और भी पक्का कर जाती है,

और मेरे तुम्हारे मित्रता और प्रेम की,

इक अदृश्य सी गांठ?

क्या कुछ खूबसूरत से पलों को,

साकार नही कर जाती है,

जो दूरी लाये----

वो तो "दरार" हुआ करती है,

गांठ तो हमेशा ही,

मजबूत किया करती है।



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