सावन आ लौटा
सावन आ लौटा
इक, सावन संग लाए
थे तुम, इक सावन
संग हो ले गए,
इक, में खुशियों की
बारिश थी
इक, में हो आँसू दे गए,
उस सावन..
छाती थी
घटा मिलन की
इस सावन..
हैं काले
बादल जुदाई के,
उस सावन..
में था, सृजन
जीवन का
इस सावन..
हैं मंजर तन्हाई के,
उस सावन..
हरेक रंग था
इस सावन..
सब बे-रंग है
उस सावन..
जीवन में ढंग था
इस सावन..
सब बे-ढंग है,
उस सावन..
तेरी बाँहों के झूले थे
इस सावन..
झूलों में वो नहीं
उमंग,
उस सावन..
दिल उड़-उड़ जाता
था
इस सावन..
मन है कटी पतंग
आ लौटा फिर!
सावन आ लौटा
आता है जैसे हर बार
पर, मेरा न आया सावन
पहले जैसा अबकी बार।

