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Nirupama Naik

Romance

3  

Nirupama Naik

Romance

फ़ना

फ़ना

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इक प्यारा सा एहसास

जो दिल को गुलशन बना दे,

तुम्हें देखकर महसूस हुआ,

मेरे प्यार को अपनी

ज़िंदगी में पनाह दे


तुमसे नाता ऐसा जुड़ सा गया

ख़ुदसे ज़्यादा तुम्हें

चाहने को जी करता है,

न अकेली हुई कभी

तुझसे मिलने के बाद

अब तेरी मौजूदगी को

हर पल अपनी ज़िन्दगी में

पाने को जी करता है।


छुए बिना मुझे छू लिया तुमने

न होशहै अब तो, तेरे नशे में लगी हूँ झूमने,

ख़ुदको सौंपा है तुम्हें इस तरह

बिन मांगे मुझे जैसे पा लिया तुमने


ग़मों का बादल छटने लगा

जब तुमसे खुशियाँ मिली बेशुमार,

न लगे अब मन मेरा कहीं और

बस छाया है तेरे प्यार का ख़ुमार


आधी-अधूरी थी मैं, पूरा किया तेरे साथ ने

जब भी संभले नहीं कदम थामा है तेरे हाथ ने,

प्यार का कमल कब खिलने लगा मालूम न हुआ

तुम्हारे दोस्ती की मीठी सौगात में।


अब आजा मेरे रूबरू

मुझे जन्नतें दिला दे,

अपने प्यार का परवान उड़ाकर

मेरी रूह को उसमे फ़ना दे।


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