रिश्ते
रिश्ते
हर पल एक अनजाने से डर
कि कहीं जख्म न दे जाए
ये अनजान रिश्ते
कि कहीं मुसीबत न बन जाए।
ये नादान रिश्ते
इन सब में उलझे हुए
जाने क्यूँ बनते हैं
ये बेनाम रिश्ते।
ये तो अच्छा है कि
बेरंग है ये आँसू
वरना जाने कितने दाग दे जाए
ये बदनाम रिश्ते।।