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Shilpa Mahto

Drama

4.8  

Shilpa Mahto

Drama

मेरा मन

मेरा मन

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अपने वजूद की तलाश में

अनजाने सफर की ओर

चल पड़ा है मेरा मन।


कभी इधर भागता

कभी उधर फिरता

मंजिल की तलाश में

भटक रहा है मेरा मन।


कभी बुराइयों में

खिंचा चला जाता है

कभी अच्छाइयों में

समा जाता है मेरा मन।


और जब कभी लड़खड़ाता,

डगमगाता, गिर पड़ता है

कभी मैं संभालती

कभी खुद संभल जाता

है मेरा मन।


अपने ही वजूद की तलाश में

यहाँ से वहाँ भटकता

फिर रहा है मेरा मन।


ख़ुद में खुद को तलाशता

विचारों से विचारों को ढूँढता

अनजाने सफर की ओर

चल पड़ा है मेरा मन।


और जब कभी कहीं

चोट लग जाती,

घाव बन जाता,

अब मुस्कुरा कर

आगे बढ़ जाता है मेरा मन।


इस जानी पहचानी

अनजानी सी भीड़ में

अपने ही वजूद को

तलाशता फिर रहा

है ये मेरा मन।।


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