शहजादी
शहजादी
बेड़ियों से बंधे हुए
खून से सने हुए वो
शहजादी के कदम
बढ़ रहे हैं
आहिस्ते-आहिस्ते
सपनों की तरफ
आँखों में चमक
और बेड़ियों की खनक
लिए चल रही है वो
आहिस्ते-आहिस्ते
मंजिल की तरफ
पैरों में बेड़ियाँ हैं
और हाथों में हाथकड़ियाँ
पर दिल में उम्मीदें
और मन में उसके सपने हैं
जिसे वो जीना चाहती है
जिसे वो पाना चाहती है
आहिस्ते-आहिस्ते।।