दिल नहीं टूटा है मेरा
दिल नहीं टूटा है मेरा
किस बात पर आँसू बहाऊँ..!
क्यूँ किसी से उलाहना दूँ
गलती मेरी थी तुझे दोष दूँ क्यूँ ..?
तुझसे पूछ कर तो चाहा नहीं
फिर क्यूँ तुझे बाँध कर रखती..!
अरे...!
तुझसे प्रेम किया है कोई सौदा तो नहीं..
तू जो हाँ करे तो ही तुझे चाहूँ
जानते तो हो ना
प्रेम समर्पण चाहता है
स्वतंत्रा चाहता है
बंधन नहीं है प्रेम
तुझे कैसे जकड़ के रखूँ..!
तुम ही बताओ
तुझे खुले आसमा में विचरते देख
जो सुकूँ जो आनंद मिलता
वो बंधन में रखकर तो नहीं मिलता ना..?
नहीं..! कदापि नहीं...!
तुझे जीवन समझ ख़ुद को तेरे नाम किया
तो क्या न तुम भी ऐसा ही करो..?
तुम मेरी चाहत हो मतलब ये तो नहीं
कि मैं भी...!
नहीं..! हरगिज़ नहीं..!
इत्मिनान रहे
मैं ऐसा करने कत्तई को नहीं कहूँगी..!
तुम बेफिक्र रहो मैं तुमसे कुछ नहीं बोलूँगी
नहीं..! नहीं..!
मैं ख़ुद को टूटने नहीं दे सकती
ना ही अपने नाजुक दिल से कहूँगी
कुछ ऐसा करने को..!
बस इक इल्तिजा है तुमसे
कभी भूले से जो याद आ भी जाऊँ
तो भी याद मत करना बस चुपके से चले आना..!
इंतज़ार ना भी करूँ तो भी
मेरे द्वार हमेशा खुले रहेंगे, तुम्हारे लिए..!
नहीं दिल नहीं टूटा है मेरा..!
बस...!!

