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मिली साहा

Abstract Romance

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मिली साहा

Abstract Romance

तुम सम ना है दूजा

तुम सम ना है दूजा

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तुम सम ना है दूजा कोई, रहना ऐसे ही, जैसे तुम हो

तुम्हारे वजूद की रोशनी से तो अँधेरे भी दूर हो जाते हैं।


हौसले की आवाज़ हो तुम, चेहरे पर तेज ऐसा, कि

खामोश लफ़्ज़ भी तुम्हारे कुछ ना कुछ कह ही जाते हैं।


धरा पर बिखरी आरुषि सम है तुम्हारे किरदार की चमक

जो नाउम्मीदी के मुरझाए फूलों में उम्मीद की खुशबू दे जाते हैं।


अचल है विश्वास तुम्हारा, है अचला सी सहनशक्ति तुम में

देखकर तुम्हारे इस धैर्य को तूफां भी अपनी राह मोड़ लेते हैं।


किस्मत की ही तो बात है तुम सा हमसफ़र जो हमने पाया

तुम्हें देख कर ही मुश्किलों से लड़ने का हौसला हम भी पाते हैं।


कदम बढ़ते हैं जब तुम्हारे कदमों के साथ कदम मिलाकर

राह में आई मुश्किलों को हम यूँ ही नजरंदाज करते जाते हैं।


कभी सरिता की शांत धारा, कभी सागर की लहरों सा तेज़

हर किरदार है तुम्हारा खास जिसमें हम अविरल बहते जाते हैं।


शिद्दत है, जुनून है तुम में, है मोहब्बत भी दिल में बेशुमार

तुम इकरार करो न करो हम इश्क़ तुम्हारी आँखों में पढ़ लेते हैं।



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